ऐश्वर्य-आत्मा-भाव-अष्टम, अंग परमात्मा सखी। ही . साधना क्षेत्र मे दोनों तरह के विधान हैं लंबे समय वाले और कम समय वाले भी ..साधारणतः यह कहा जाता हैं की सबसे पहले कम समय वाले विधानों की तरफ गंभीरता से देखा जाना चाहिये और जब परिणाम उतने अनुकूल ना हो जितनी https://www.youtube.com/watch?v=SF7PX2WO3mQ&ab_channel=Tantramantraaurvigyaan